फिल्म के डायलॉग में भी शिक्षा योग्य बातें होती है -
लोगों तक नेक कार्य पहुंचने चाहिए किसने किया इससे कोई फर्क नहीं पड़ता।
~ फिल्म - ध्रुव जगन्नाथ (DJ)
इसलिए हमारे जैनाचार्यों ने जंगल में मोक्षमार्ग के प्ररूपक शास्त्र लिखें जिससे की हम उन्हें पढ़कर मोक्षमार्ग में आगे बढ़ें। किन्तु उन्होंने उसमे अपने विषय में कुछ नहीं लिखा और हम अज्ञानी जीव, आचार्य ने जो शास्त्र में मोक्षमार्ग लिखा है, शुद्धात्मा की प्राप्ति का जो उपाय लिखा है उसे समझने के बजाय कौन सा शास्त्र किसने लिखा, कब लिखा उनके गुरु कौन थे, शिष्य कौन थे, उनकी गृहस्थ अवस्था कैसी थी, उनके माता-पिता, चाचा-मामा आदि रिश्तेदार कौन थे बस इसी में रुचि लेते है।
यहां तक कि विद्यालय में भी हमें क्या करना चाहिए ये सिखाने के बजाय किसने, कौन से समय में, कौन से स्थान पर क्या झंडे गाड़े थे बस यही सिखाया जाता है। कौन बनेगा करोड़पति जैसे टी.वी. शो में भी इसी की बात होती है।
तो कोई संस्कार की बात क्यों सीखना चाहेगा और कौन सिखाना चाहेगा?
वर्तमान में अच्छे कामों को याद रखना या अच्छे काम सीखने के बजाय केवल नौकरी, इनाम अथवा प्रसिद्धि पाने के लिए पूर्व में किसने क्या किया बस यही याद रखा जाता है।
और स्वयं भी कुछ महान कार्य कर सकते है, कुछ अच्छा कर सकते है, समाज में हो रही विसंगतियों में सुधार कर सकतें है । पूरी समाज में नहीं तो अपने परिवार अथवा अपने जीवन में चल रही विसंगतियां तो हम सुधार ही सकते है। धर्म और त्यौहार के नाम पर अथवा समय-समय पर परम्परा के नाम पर सगे रिश्तों में लेन-देन के नाम पर जो मिथ्या परम्पराएं चल रही है उन्हें सुधार सकतें है।
इतना भी निर्णय नहीं कर पाते समझ नहीं आता क्या संस्कार है और क्या शिक्षाएं है हमारी जब हम किसी बात पर सही और गलत का प्रश्न उठाकर विचार करने लायक भी नहीं हुएं। सभी को विचार करना चाहिए। कि केवल दुनिया में किसने, कब, क्या, किया? ऐसे सामान्य ज्ञान को रटकर ही जीना है या अपने अपने दिमाग से प्रत्येक स्थिति में सही-गलत का विचार करके स्वयं को महापुरुषों की गिनती में खड़ा करना है।
याद रखिए लोग तो तीर्थंकरों को भी याद नहीं रखते तो हम और आप कौन है इसलिए जो भी करें लोग हमें याद रखें इस भावना से नहीं बल्कि हमारे परिणाम निर्मल रहें, हमारे कर्म अच्छे हो इस भावना से करें।
क्योंकि मृत्यु के पश्चात् इस भव ने कमाया नाम साथ नहीं जाएगा। बल्कि हमारे कर्म ही हमारे साथ जायेंगे।
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ReplyDeleteRatna hi ke jruri nhi us baat mai kitni satyata or wah kitni prayogniya h itna to nirnay karna anivarya hi h...
Deleteजी धन्यवाद 🙏
Delete🙏
Deletebahut sahi bataya aapne 👌🙏🙏
ReplyDeleteManju jain Mumbai
जी धन्यवाद 🙏
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