Thursday, September 2, 2021

स्वयं का निर्णय

वर्तमान में सभी जीव बहुत ही परेशान बहुत ही दुःखी दिखाई देते हैं, और उसका सबसे बड़ा कारण है कि वह जिंदगी तो अपनी जीते हैं मेहनत तो स्वयं करते हैं, लेकिन दृष्टि दूसरे की पसंद पर होती है।
वर्तमान समय के सभी जीवो की सबसे बड़ी समस्या यह है कि उन्हें खुद से ज्यादा दूसरों पर भरोसा होता है उन्हें अपने ज्ञान अपने दिमाग की कीमत ही समझ नहीं आती। हमें क्या करना चाहिए, क्या नहीं करना चाहिए, कैसे करना चाहिए, कैसे नहीं, इस बात पर लोग अपने दिमाग का प्रयोग ही नहीं करते, बल्कि अब तक जैसा सब लोग कर रहे हैं वैसा ही हमें करना है यह सोच कर जिंदगी में आगे बढ़ते जाते हैं और एक दिन यह अनमोल मनुष्य भव गंवा देते हैं।
जहां हमें जिंदगी में बहुत ज्यादा लोग दिखाई देते हैं तो हम आंख बंद करके वहां चले जाते हैं जो पढ़ाई ज्यादा लोग करते दिखाई देते हैं हम भी वहीं पढ़ाई चुन लेते हैं जिन कपड़ों को ज्यादा लोग पसंद करते हैं हम भी वही पसंद करने लगते हैं और जिन भगवानों को, देवी-देवताओं को ज्यादा लोग मानने लगते हैं हम भी वही करने लगते हैं हमारा स्वयं का निर्णय ही नहीं कर पाते क्या सही है, क्या गलत है इसका विवेक ही नहीं रखते कभी शांति से बैठकर सोचते नहीं है विचार नहीं करते कि मैं जो कर रहा हूं सही भी है या नहीं मैं जो कर रहा हूं वह अगर सही है तो मुझे यह किस तरह करना चाहिए किस तरह नहीं इससे क्या लाभ होगा क्या नहीं इन सब बातों का हम विचार ही नहीं कर पाते।
 जीवन में हमारे हर लौकिक या धार्मिक कार्य के पीछे स्वयं का निर्णय बहुत आवश्यक है, बहुत से ज्ञानी विद्वानों द्वारा एक बात कही गई है- जहां कुछ गलत होता है वहां सबसे ज्यादा भीड़ दिखाई देती है और जो सच्चाई के रास्ते पर चलता है वह अकेला होता है लेकिन वर्तमान में सभी को भीड़ देखकर लगता है कि यह सब लोग पागल थोड़ी है इतने सारे लोग इस काम को करते हैं इसका मतलब जरूर कोई महान कार्य होगा और फिर उस कार्य की ऐसी अंधश्रद्धा होती है कि वह हमें भव-भव में बहुत दुःख देती है। 
इसलिए यह बात हम सभी को ध्यान में रखने योग्य है कि वास्तव में सही क्या है और गलत क्या है दूसरों से ज्यादा खुद के दिमाग पर भरोसा करो बारंबार विचार करो और स्वयं का सही निर्णय लो। 
वास्तव में देखा जाए तो हमसे ज्यादा हमारे बारे में कोई नहीं जानता हम क्या करते हैं और क्या कर सकते हैं अपने जीवन का सबसे अच्छा और सबसे सही निर्णय स्वयं हमारे अलावा पूरी दुनिया में कोई नहीं ले सकता।
दुनिया की रीति सही है या गलत इसका निर्णय भी हमें ही करना है, दुनिया की रीति परंपरा में से हमें क्या ग्रहण करना क्या नहीं यह हमें चुनना होगा एक बार एक विद्वान ने अपने प्रवचनों में कहा था कि हमें खाना अपने पसंद का खाना चाहिए और कपड़े दूसरों के पसंद के पहनने चाहिए। वह प्रसिद्ध विद्वान थे सभी लोगों को उनकी बात अच्छी लगी पर मुझे वह बात ठीक नहीं लगी, लेकिन क्यों ठीक नहीं लगी उसका कारण उस समय मेरे पास नहीं था, फिर एक दिन हमें अपने कुछ सहपाठियों के साथ कहीं घूमने जाना था तो मैं सबसे पहले तो अपनी सफेद शर्ट पहन कर बाहर आया तो एक सहपाठी ने कहा कि सफेद शर्ट अच्छी नहीं लग रही तेरी वह गुलाबी वाली शर्ट ज्यादा अच्छी लगती है तो मैं उसकी बात मान कर गुलाबी शर्ट पहन कर आ गया इतने में तीसरा बोला यार गुलाबी शर्ट पहनी है वह तेरी जो लाल रंग की शर्ट है वह ज्यादा अच्छी लगती है फिर मैं जाकर लाल रंग की शर्ट पहनकर आया, फिर थोड़ी देर बाद एक लड़का बोला कि भैया आपकी सफेद शर्ट बहुत अच्छी लगती है वह क्यों नहीं पहनी। उस दिन बात समझ में आ गई खुद से ज्यादा दूसरा व्यक्ति समझदार है ऐसी मान्यता से हम कितना परेशान होते हैं।
हम सभी को एक बात हमेशा ध्यान रखनी चाहिए अपने जीवन में चाहे लौकिक जीवन हो या धार्मिक जीवन जिसकी चाहो सलाह लो, जितनी चाहे सलाह लो, लेकिन अंतिम निर्णय हर कार्य में स्वयं का ही लेना अपनी बुद्धि से सही गलत का निर्णय करो और गलत काम छोड़कर सही रास्ते पर चल पड़ो।

14 comments:

  1. Whether the decision is right or wrong, it should be taken only after thinking...
    One should never take decisions just by looking at the crowd without thinking... ( absolutely right 🙏👍👌)

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  2. Yery tru nirnay svayam ka hona chahiye 👌👌🙏❤️

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  3. Manju jai Bombay:yes antim nirnay swarm ka hona chahiye 👌👍🙏🙏🙏😊

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  4. Very true.End decision should be ours 🙏

    Sreyas Jain, Mumbai

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