Thursday, October 14, 2021

वास्तव में क्या है होली और दशहरा??

हम जैन है हमारे यहां होली और दशहरा दोनों ही त्योहारों को ना तो मनाया जाता है और ना ही इसकी अनुमोदना की जाती है।
क्योंकि इसमें एक त्यौहार में एक पुरुष को और एक त्यौहार में एक महिला को जिंदा जलाने की भावना होती है।
वर्तमान में जिसतरह से ये त्यौहार मनाए जाते है उससे होने वाले लाभ हानि पर विचार करे तो ....

1) दशहरे पर पटाखों के माध्यम से पैसा बर्बाद होता है और प्रदूषण फैलता है कई बीमारियां बढ़ती है और अनंत सूक्ष्म जीवों की हिंसा होती है।

2) होली पर भी जल की बर्बादी, जल प्रदूषण, नशा करते है लोग और नशे में स्त्रियों के साथ बहुत सी घटनाएं घट जाती है, अनेक केमिकल से निर्मित रंगो से त्वचा खराब होती है बीमारियां फैलती है, जानवरों पर जब ये रंग जाता है तो उनकी त्वचा में खुजली इत्यादि होना जिससे उन्हें कष्ट होता है, और साथ में अनेक एकेंन्द्रिय व त्रस (2-5 इन्द्रिय जीव) जीवों की हिंसा होती है, 

3) दोनों ही त्योहारों से जिस प्रकार से संसार में मनाए जाते है हानि ही हानि होती है चारों और लाभ नहीं होता।

वैदिक संस्कृति के अनुसार इन दोनों दिवस को बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में मनाने का उल्लेख मिलता है।
किन्तु जरा हम विचार करे कि क्या इसी तरह ये पर्व मनाते है।
यदि जलाना है तो अपने अंदर के विकारी भावों को जलाओ, अपने अंदर के क्रोध को जलाओ, अहंकार को जलाओ, मायाचार-छलकपट के भावों को जलाओ लालच को जलाओ, ये सब तो जलाते नहीं है, अग्नि जलाकर क्या सिद्ध करना चाहते है हम??
ये वॉट्सएप पर हैप्पी होली या हैप्पी दशहरा, हैप्पी दिवाली के मैसेज भेजने से कुछ नहीं होता है वास्तव ने इन दिनों के सही स्वरूप को व ग्रन्थों के लेखक की, लिखने वाले की भावना को समझने का प्रयास करो।
पटाखे फोड़कर, उधम मचाकर देश की संपत्ति व पशुओं को नुकसान पहुंचाकर, मेहनत से कमाए हुए माता-पिता के धन को व्यर्थ बर्बाद करके हम कौन सा त्यौहार मानना चाहते है??
ग्रन्थों में तो, शास्त्रों में तो त्योहारों का स्वरूप कुछ और ही लिखा है, किन्तु आज के समय में लोगो को शास्त्र पढ़ने का तो समय नहीं होता और अपनी मौज मस्ती के लिए धार्मिक त्योहारों का मजाक बना रखा है,।

कृपया त्यौहार का महत्व और उसे मनाने का सही स्वरूप समझे, स्वयं अपने अज्ञान के कारण से अपने ही धर्म का अपने ही धर्म के त्योहारों का मजाक ना बनाएं।🙏🏻


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