सब कहते हैं जन्म हुआ था मेरा आज इस धरती पर,
पर मैं अजन्मा, देह जन्मता भव-भव में इस धरती पर ।।
जन्म मरण है दुख के कारण जिनवाणी बतलाए,
लेकिन हम तो जन्मोत्सव की खुशियां यहां मनाए।।
पूर्व भव में क्या हुआ था यह तो मुझको पता नहीं,
इस भव की कुछ यादों से ही आंसू मेरे रुके नहीं।।
मेरे माता-पिता ने मुझ पर बहुत बड़ा उपकार किया,
मेरे इस जीवन में मुझको मोक्ष मार्ग पर खड़ा किया।।
गुरुजनों की सब शिक्षाएं एक-एक कर याद आती,
इस भव का सदुपयोग है रत्नत्रय यह कह जाती।।
अनंत भवों का पुण्यफल है नरभव जैन कुल पाना,
देव-शास्त्र-गुरु का स्वरूप और सदगुरुदेव वचन मिलना।।
23 वर्ष की इस जीवन की यादें मुझको आती है,
आंसू रुकते नहीं है मेरे अखियां भर-भर आती हैं।।
पुण्य किए जितने भी मैंने उनको गिनता रहता था,
पाप अनगिनत करता रहा कोई हिसाब ना रखता था।।
ऐसा कोई पाप नहीं जो मैंने अब तक नहीं किया,
भाव कर्म और भाव मरण इस भव में भी वही किया।।
रोते-रोते धरती पर आया कोई हंसा न पाया था,
प्रतिकूलताएं थी जीवन में कोई बचा ना पाया था।।
होश संभाला था जब मैंने समझ तो कुछ ना आता था,
कोई भी कुछ भी कह देता वही मानता जाता था।।
भगवान अनेकों देवी माता किसको पूजूं किसको नहीं,
शिक्षा के हैं मार्ग अनेक क्या पढ़ूं और क्या नहीं।।
फिर अचानक अनंत भवों का पुण्य उदय में आया था,
जिनवाणी मां ने कोटा में अपने पास बुलाया था।।
नई कहानियां नई लोरियां मुझको रोज सुनाती थी,
गुरुजनों के मुख से माता अपने भाव सुनाती थी।।
देव-शास्त्र-गुरु का स्वरूप भी तब समझ में आया था,
कौन हूं मैं आया कहां से तब समझ में आया था।।
जिनवाणी की बातें सुनकर बहुत ही आनंद आता है,
भव दुखों का नाश अब होगा ऐसा मुझको लगता है।।
अच्छा करने जाता था मैं बुरा ही अक्सर हो जाता,
कर्तापन के भार को लेकर मिथ्यातम में धंस जाता।।
मैंने अपने हठ के कारण सबको बहुत दुख दिया,
माता पिता और गुरु जनों को अपनों को ही दुखी किया।।
बात समझ में आने लगी है अब तो करना ऐसा काम
रत्नत्रय की प्राप्ति होगी ऐसे होवे मंगल भाव।।
जन्म दिया मां तूने मुझको कैसे चुकाऊ तेरा कर्ज,
दूध पियूं ना किसी भी मां का यही रह गया मेरा फर्ज।।
सुना है जग में माता-पिता का गुरुजनों का आशीर्वाद,
मंगलमय होता है जग में मंगल होते सारे काज।।
माता-पिता और गुरुजनों से एक ही मेरी अर्जी है,
रत्नत्रय की प्राप्ति करूं मैं बाकी काम तो फर्जी है।।
ऐसा आशीर्वाद ही देना सभी दुखों का नाश करूं,
सिद्ध बनूं, भगवान बनु में, जन्म मरण का अन्त करूं।।
ऐसा आशीर्वाद ही देना सभी दुखों का नाश करूं,
सिद्ध बनूं, भगवान बनु में
सुख अनंत का भोग करूं।।
ऐसा आशीर्वाद ही देना सभी दुखों का नाश करूं,
सिद्ध बनूं, भगवान बनु में
यह, जन्म में सफल करूं।।
Bahut hi sundar kavya likha hai dil ko sparsh kar dene vala 👌👌👏👏Mumbai ❤️
ReplyDeleteजी धन्यवाद
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